7 Best kabir ke dohe with hindi meaning (कबीर के दोहे )

Hello दोस्तों,

स्वागत है आपका instahindi.in पर। आप लोगो ने अक्सर kabir das ke Dohe पढ़े होंगे या सुने होंगे। पर बहुत से लोग उन दोहो का अर्थ नहीं जानते होंगे तो आज हम आपको kabir ke dohe with meaning के साथ विवरण करेंगे। कबीर के ये दोहे कुछ न कुछ सीख देने वाले है। Click here to Download kabir ke dohe in hindi pdf

तो चलिए शुरू करते है kabir ke dohe

1> जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
     मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।

हिंदी अनुवाद: इस दोहे में कबीर जी कहते है कि हमें किसी साधू या सज्जन व्यक्ति से उसकी जाति धरम पूछने के बजाए उसके पास जो ज्ञान वो लेना चाहिए क्युकी ज्ञान जाति या धरम देख के नहीं मिलता है। जैसे संकट आने पर तलवार काम आती है न की वो म्यान जिसमे तलवार को रखा जाता है।

2> गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय ।
      बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥

हिंदी अनुवाद: इस दोहे में कबीर जी ने बताया है की गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर है। इस दोहे में कबीर जी कहते है कि अगर हमारे सामने  भगवान और गुरु दोनों एक साथ खड़े हों तो आप सबसे पहले किसके चरण स्पर्श करेंगे अपने गुरु के या ईश्वर के? तो हमें गुरु के चरण पहले स्पर्श करने चाहिए क्युकी गुरु ने ही अपने ज्ञान से हमें भगवान से मिलने का रास्ता दिखाया है।

3>माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय॥

हिंदी अनुवाद: कबीरदास जी इस दोहे में कहते हैं कि मिट्टी कुम्हार से कहती है कि तुम मुझे क्या रौंदते हो, एक दिन ऐसा आएगा जब तुम भी इसी मिटटी में मिल जाओगे, तब मैं तुम्हे रौंदूंगी। भाव यह है कि समय हमेशा एक जैसा किसी का नहीं रहता है। किसी भी चीज का अभिमान नहीं करना चाहिए।

4>माला फेरत जुग गया, गया न मन का फेर ।
कर का मन का डा‍रि दे, मन का मनका फेर॥

हिंदी अनुवाद: कबीरदास जी इस दोहे में कहते हैं कि मनुष्य लम्बे समय तक हाथ में मोती की माला लेकर घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन शांत नहीं होता है। हमें हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को फेरो अर्थात अपने मन को शांत करो।

5>तिनका कबहुं ना निंदए, जो पांव तले होए।
कबहुं उड़ अंखियन पड़े, पीर घनेरी होए॥

हिंदी अनुवाद: कबीरदास जी इस दोहे में कहते हैं कि हमें कभी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए चाहे वो एक छोटा सा तिनका ही क्यों ना हो। क्योंकि अगर ये छोटा सा तिनका आँख के अंदर चला जाए तो बहुत पीड़ा होती है।

6>साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय॥

हिंदी अनुवाद: इस दोहे में कबीर दास जी ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते है के मुझे उतना ही धन सम्पदा देना जितने में मैं अपने परिवार का पालन पोषण कर सकू और अगर मेरे द्वार पर कोई साधू या कोई भी आये तो वो कभी भूखा नहीं जाना चाहिए।

7>धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय॥

हिंदी अनुवाद: इस दोहे में कबीर दास जी हमें धैर्य का महत्व समझाते हुए कहते है कि मनुष्य को हमेशा धैर्य से काम लेना चाहिए। इसमें वो उदाहरण देते हुई कहते है कि अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े भी पानी से सींचता रहे, तब भी वह पेड़ फल तो ऋतु के आने पर ही देगा।

ये कोई नहीं जनता के कबीर दस जी हिन्दू थे या मुस्लिम पर उनके दोहे हर इंसान को जीवन जीने का तरीका और सवक सिखाते है। अगर आप रहीम के दोहे भी पढ़ना चाहते है तो वो भी यहाँ पर click करके पढ़ सकते है।

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उम्मीद है आपको kabir ke dohe in hindi अच्छे लगे होंगे और इन kabir das ke dohe से कुछ न कुछ अच्छी शिक्षा मिली होगी।

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