नवरात्रि क्या है और क्यों मनाई जाती है?


नवरात्रि भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल दो बार मनाया जाता है – एक बार वसंत ऋतु में और दूसरी बार शरद ऋतु में। नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ होता है “नौ रातें,” जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

नवरात्रि का धार्मिक महत्व:

नवरात्रि का धार्मिक महत्व हिंदू धर्म में अत्यंत गहरा है। यह त्योहार शक्ति की देवी दुर्गा को समर्पित है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक हैं। कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था, जो अहंकार और अधर्म का प्रतीक था। नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री – की पूजा की जाती है।

नवरात्रि का सांस्कृतिक महत्व:

नवरात्रि सिर्फ धार्मिक पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शामिल होते हैं। गुजरात में गरबा और डांडिया नृत्य बहुत प्रसिद्ध हैं, जिन्हें लोग रात भर करते हैं। इसके अलावा, बंगाल में दुर्गा पूजा का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है, जहाँ देवी दुर्गा की विशाल मूर्तियों की स्थापना की जाती है और पूजा के बाद उन्हें जल में विसर्जित किया जाता है।

नवरात्रि के पीछे की कथा:

महिषासुर एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस था, जिसने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान प्राप्त किया था, जिसमें कहा गया था कि उसकी मृत्यु केवल एक स्त्री के हाथों हो सकती है। इस वरदान के कारण महिषासुर ने अत्याचार करना शुरू कर दिया। तब त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – ने अपनी शक्तियों को मिलाकर देवी दुर्गा को उत्पन्न किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक युद्ध किया और अंततः दसवें दिन उसका वध किया। इस घटना को “महिषासुर मर्दिनी” के रूप में याद किया जाता है, और इसलिए दसवें दिन को “विजयादशमी” या “दशहरा” के रूप में मनाया जाता है।

नवरात्रि में उपवास और पूजा विधि:

नवरात्रि के दौरान कई लोग उपवास रखते हैं, जो शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। उपवास के दौरान फलाहार का सेवन किया जाता है और प्याज, लहसुन और अनाज का त्याग किया जाता है। हर दिन देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और भक्तगण अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं, जिसे अखंड ज्योति के साथ नौ दिनों तक जलाया जाता है।

नवरात्रि का आधुनिक महत्व:

आजकल नवरात्रि न केवल धार्मिकता से जुड़ी है, बल्कि यह समाज में एकता और सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने का भी एक जरिया बन चुकी है। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस त्योहार का आनंद लेते हैं, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, और अपनी धार्मिक आस्थाओं को और मजबूत करते हैं।

निष्कर्ष:

नवरात्रि अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है, जो हमें यह संदेश देती है कि चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, अंततः सत्य और धर्म की ही जीत होती है। यह त्योहार आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है, जिसे हर कोई अपने तरीके से मनाता है।

इस तरह नवरात्रि भारतीय समाज का एक अभिन्न हिस्सा है, जो हमें अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ता है।

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