अनिरुद्धाचार्य जी महाराज की जीवनी | Aniruddhacharya Ji Maharaj Biography in Hindi

अनिरुद्धाचार्य जी महाराज आज के समय के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय कथा-वाचक में से एक हैं। अपने सरल शब्दों, हास्य भरे प्रवचनों और भक्तिमय कथा-वाचन के माध्यम से वे करोड़ों लोगों के हृदय में स्थान बना चुके हैं। वे संस्कार, संस्कृति और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए जाने जाते हैं और युवाओं को अध्यात्म से जोड़ने का विशेष प्रयास करते हैं।

प्रारंभिक जीवन

अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितम्बर 1989 को मध्य प्रदेश के रीवा जिले के एक छोटे से गाँव रिवझा (Revjha) में हुआ था। उनका असली नाम अनिरुद्ध राम तिवारी है। उनके पिता का नाम श्री राम नरेश तिवारी और माता का नाम श्रीमती छाया बाई है। बचपन से ही उनमें भगवान के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति भावना थी।

बचपन में वे अक्सर गाँव के मंदिरों में भजन-कीर्तन करते और धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने में रुचि रखते थे। परिवार भी धार्मिक था, जिससे उन्हें आध्यात्मिक संस्कार बचपन से ही मिले।

शिक्षा और आध्यात्मिक यात्रा

अनिरुद्धाचार्य जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रीवा में ही प्राप्त की। आगे चलकर उन्होंने वेद-पुराण और धार्मिक ग्रंथों का गहराई से अध्ययन किया। युवावस्था में ही उन्होंने कथा-वाचन आरंभ किया और श्रीमद्भागवत कथा, रामकथा और अन्य धार्मिक प्रवचनों के माध्यम से लोगों को धर्म और जीवन के मूल्यों से परिचित कराया।

उनकी कथाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे हास्य, भावनाओं और ज्ञान का सुंदर मिश्रण प्रस्तुत करते हैं। उनका संदेश होता है — “भक्ति का अर्थ केवल पूजा नहीं, बल्कि सेवा और करुणा है।”

गौरी गोपाल आश्रम और समाज सेवा

अनिरुद्धाचार्य जी ने गौरी गोपाल आश्रम की स्थापना की, जो धार्मिक और सामाजिक कार्यों का केंद्र है।
आश्रम के माध्यम से वे अनेक सेवाएँ संचालित करते हैं, जैसे —

  • अन्नपूर्णा रसोई सेवा: जहाँ प्रतिदिन हज़ारों लोगों को निशुल्क भोजन कराया जाता है।
  • गौशाला संचालन: गायों की सेवा और संरक्षण के लिए विशेष व्यवस्था।
  • वानर सेवा कार्यक्रम: मथुरा-वृंदावन क्षेत्र में बंदरों के लिए भोजन और देखभाल की व्यवस्था।
  • वृद्ध सेवा एवं चिकित्सा सहायता: गरीब और वृद्ध लोगों के लिए सहयोग कार्यक्रम।

इसके अतिरिक्त वे अपने कथाओं के माध्यम से लोगों को पर्यावरण, संस्कार और मानवीय मूल्यों का महत्व समझाते हैं।

विवाद

जैसे-जैसे उनकी लोकप्रियता बढ़ी, वैसे-वैसे कुछ विवाद भी सामने आए।
सबसे प्रमुख विवाद उस समय हुआ जब एक प्रवचन के दौरान उनके द्वारा महिलाओं के संबंध में दिए गए कथन पर सोशल मीडिया पर आलोचना हुई। बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनके कथन का गलत अर्थ निकाला गया और उन्होंने किसी की भावना आहत करने का उद्देश्य नहीं रखा था।

इसके अलावा, वे कई बार राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचार साझा करने के कारण भी चर्चाओं में रहे हैं।

🌿 निष्कर्ष

अनिरुद्धाचार्य जी महाराज एक ऐसे कथा-वाचक हैं जिन्होंने आधुनिक युग में भक्ति और धर्म को नया दृष्टिकोण दिया है। उनकी कथाएँ केवल धार्मिक नहीं, बल्कि जीवन को सकारात्मक दिशा देने वाली होती हैं।
उनका संदेश है —

“सेवा ही सच्ची भक्ति है, और प्रेम ही सबसे बड़ा धर्म।”

उनकी प्रेरणा से लाखों लोग जीवन में आध्यात्मिकता और मानवीयता का मार्ग अपनाते हैं।